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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2709
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।

अथवा

रुचि से आपका क्या अभिप्राय है? रुचि मापने की विधियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -

रुचि का अर्थ

प्रत्येक व्यक्ति वातावरण की किसी-न-किसी वस्तु में रुचि रखता है। रुचि से तात्पर्य व्यक्ति के किसी वस्तु या विषय के प्रति चाहत या लगाव से है। जैसे किसी व्यक्ति की क्रिकेट खेलने में किसी की कविता लिखने में, तो किसी की चित्रकारी में रुचि होती है। रुचि किसी व्यवसाय या पाठ्यक्रम या पाठ्य विषयों की पसन्द का नाम है। रुचि किसी भी कार्य के लिए चालक शक्ति तथा प्राप्ति के लिए महत्त्वपूर्ण कारक का काम देती है। रुचि के कारण व्यक्ति में पूर्ण एकाग्रता और ध्यानकेन्द्रिता पैदा होती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में रुचियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि एक व्यक्ति क्या और कैसा करेगा, यह बहुत कुछ उसकी रुचियों के द्वारा ही निर्धारित होता है। इसके अतिरिक्त इनका हमारे जीवन में महत्त्व इसलिए भी है कि यह सीखने के अभिप्रेरण स्रोत भी हैं। साधारण शब्दों में, हम कह सकते हैं कि रुचि का अर्थ 'सम्बन्ध की भावना' से है। जिस वस्तु से हम सम्बन्धित हो जाते हैं या जो वस्तु हमसे सम्बन्धित है, उसे हम रुचि की संज्ञा दे देते हैं।

रुचि की परिभाषाएँ

भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिकों ने रुचि के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न विचार प्रकट किए हैं। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने रुचि की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं-

(1) ड्रैवर के अनुसार, - "रुचि स्वभाव का गतिशील पक्ष होता है।"
(2) गिलफोर्ड के शब्दों में, - "रुचि वह प्रवृत्ति है जिससे हम किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया की ओर ध्यान देते हैं, उससे आकर्षित होते हैं या सन्तुष्टि प्राप्त करते हैं।"
(3) बिंघम के अनुसार, - "रुचि किसी अनुभव में खो जाने या लिप्त हो जाने तथा उसे जारी रखने की प्रवृत्ति है।"
(4) स्ट्रैंग के अनुसार - " रुचि सफलता की मध्य सूचक है।"
(5) रूमेल, रेमर्स एवं गेज के शब्दों में - "रुंचि मूलरूप में सुखान्त एवं दुखान्त भावनाओं, पसन्द एवं नापसन्द, व्यवहार के आकर्षण एवं विकर्षण के रूप में दर्पण है।"

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर रुचि की निम्नलिखित विशेषताएं दृष्टिगोचर होती हैं-

विशेषताएँ

(i) रुचियाँ व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक अंग होती है।
(ii) रुचियाँ सीखी जाती हैं। यह विशेष चीजों या पदार्थों के बारे में व्यक्ति की प्रतिक्रियाओं को दर्शाती हैं।
(iii) रुचियों को वंशानुक्रम और वातावरम से सम्बन्धित दोनों प्रकार के कारक प्रभावित करते हैं। (iv) आयु वृद्धि के साथ-साथ व्यक्ति की रुचियों में भिन्नता कम होती जाती है।
(v) रुचि कार्य के लिए एक चालक शक्ति है तथा यह व्यक्ति के व्यवहार का एक पक्ष है।
(vi) रुचियाँ अस्थायी होती हैं। इनमें आयु तथा समय के अनुसार बदलाव आता है।
(vii) रुचियाँ भूतकाल तथा वर्तमान काल से सम्बन्धित होती हैं। -
(viii) रुचियों का वस्तुपरक मापन नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनका सम्बन्ध अधिकतर भावनाओं से होता है।
(ix) व्यावसायिक तथा अव्यावसायिक दोनों प्रकार की रुचियां साथ-साथ चलती हैं।

उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर हम रुचियों के अर्थ एवं स्वरूप के बारें में अनुमान लगा सकते हैं। ये विशेषताएँ रुचियों के मापन में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होती हैं।

रुचियों के प्रकार

रुचियों के प्रकार के सम्बन्ध में अनेक अध्ययन हुए हैं। रुचियों के मुख्य रूप से चार प्रकार हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

(i) अभिव्यक्त रुचियाँ - इस प्रकार की रुचियाँ वे होती हैं जो कि व्यक्ति द्वारा पूछने पर स्वयं बताई जाती हैं, अर्थात् इस प्रकार की रुचियाँ व्यक्ति के द्वारा शब्दों या भाषा के द्वारा व्यक्त की जाती हैं। इस प्रकार की रुचियाँ अविश्वसनीय होती हैं।
(ii) व्यक्त या प्रदर्शित रुचियां - इस प्रकार की रुचियाँ व्यक्तियों के व्यवहार द्वारा प्रदर्शित होती हैं, जैसे- यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार द्वारा यह प्रदर्शित हो कि उसकी रुचि सिनेमा, क्रिकेट या घूमने में है तो यह व्यक्त या प्रदर्शित रुचि कहलाती है।
(iii) रुचि अनुसूची द्वारा ज्ञात रुचियां - ये वे रुचियां होती हैं जो कि विभिन्न रुचि - प्रपत्रों या मानकीकृत रुचि परीक्षणों द्वारा ज्ञात होती हैं।
(iv) परीक्षित रुचियाँ - जिन रुचियों का मापन निष्पत्ति परीक्षणों या वस्तुनिष्ठ परीक्षणों द्वारा किया जाता है उन्हें परीक्षित रुचियाँ कहते हैं।

रुचि मापने की विधियाँ

रुचियों को मापने से सम्बन्धित विधियाँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं जो कि निम्न प्रकार से हैं-

(1) अनौपचारिक विधियाँ - अनौपचारिक विधियों के द्वारा छात्रों या बालकों की पसन्द या नापसन्द के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त की जाती है। इस प्रकार की जानकारी बालक के माता- पिता, अध्यापक अथवा कोई भी अनुभवी व्यक्ति प्राप्त करता है। बालक के बारे में इस प्रकार की जाँच प्रमाणिक तत्त्वों पर आधारित नहीं होती है तथा न ही पूर्ण रूप से विश्वसनीय होती हैं।

(2) औपचारिक विधियाँ - इस प्रकार की विधियों के अन्तर्गत मनोवैज्ञानिकों द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकार की प्रश्नावलियाँ या रुचि टेस्ट बैटरियाँ आती हैं। औपचारिक विधियाँ विशेष तथा स्टैण्डर्ड मापक यन्त्र होते हैं।

रुचि मापन से सम्बन्धित कुछ औपचारिक विधियाँ

रुचि मापन से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार की रुचि-अनुसूचियों का निर्माण मनोवैज्ञानिकों ने किया है। कुछ महत्त्वपूर्ण रुचि - अनुसूचियाँ निम्नलिखित

(1) कूडर का प्राथमिकता रिकॉर्ड - कूडर के प्राथमिकता रिकॉर्ड के कई स्वरूप हैं। जैसे- 'व्यावसायिक प्राथमिकता रिकॉर्ड', 'व्यक्तिगत प्राथमिकता रिकॉर्ड', 'औद्योगिक प्राथमिकता रिकॉर्ड' आदि। कूडर के व्यावसायिक प्राथमिकता रिकॉर्ड में कुल 168 पद हैं। प्रत्येक पद में तीन चुनाव होते. हैं। कूडर ने व्यावसायिक प्राथमिकता रिकॉर्ड में 9 भिन्न-भिन्न प्रकार के चार्ट तैयार किए हैं, जो कि निम्नलिखित प्रकार से हैं-

(i) साहित्यिक
(ii) कलात्मक
(iii) वैज्ञानिक
(iv) यान्त्रिक
(v) संगीतक
(vi) कलर्की सम्बन्धी
(vii) गणनात्मक
(viii) प्रेरणादायात्मक तथा
(ix) सामाजिक।

व्यावसायिक रिकॉर्ड के प्रत्येक मद में तीन चुनाव होते हैं, जैसे-

(क) नीम का पेड़ बनाओ।

(ख) पक्षियों के चित्र बनाओ।

(ग) पक्षियों के बारे में लेख लिखो।

इनमें से व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता के अनुसार चुनना होता है। ऊपर दिए गए तीनों चुनाव तीन प्रकार की रुचियों से सम्बन्धित हैं, जो इस प्रकार हैं- यान्त्रिक, साहित्यिक तथा कलात्मक।

(2) थर्स्टन का व्यवसाय रुचि प्रोग्राम - थर्स्टन ने इस परीक्षण के परिणामों का विश्लेषण कारक विश्लेषण विधि द्वारा करके रुचि के निम्नलिखित आठ कारक मालूम किए -

(i) कलात्मक,
(ii) शिक्षा,
(iii) जीवन सम्बन्धी,
(iv) व्यापारिक,
(v) खेल कारक,
(vi) वैज्ञानिक,
(vii) शारीरिक,
(viii) वर्णनात्मक कारक।

(3) हैपनर का व्यवसाय रुचि अंक - इस परीक्षण में विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित 9 ग्रुप जिसमें कुल 620 पद हैं। इस परीक्षण की सहायता से हैपनर ने रुचि के चार विभिन्न क्षेत्रों को अलग किया है, जो इस प्रकार हैं-

(i) व्यापार सम्बन्धी,
(ii) व्यवसाय सम्बन्धी
(iii) कुशल व्यापारी
(iv) औरतों के लिए व्यवसाय।

(4) क्लीन की व्यावसायिक रुचि - सूची -क्लीटन की यह सूची स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों और वयस्कों के लिए अधिक उपयुक्त है। इस सूची में स्त्री और पुरूषों के लिए अलग- अलग प्रतिरूप (Forms) हैं। इस सूची का सम्बन्ध व्यवसायों के 9 ग्रुपों के साथ है और इसमें 620 पद हैं। इसमें छात्र को 40 प्रश्नों का उत्तर देना होता है और छात्र को अपनी रुचि के बारे में लिखना होता है।

(5) स्टीवार्ड तथा ब्रेनाड की विशिष्ट रुचि - सूची- इस सूची में चार प्रतिरूप शामिल हैं-

(i) एक पुरूषों के लिए,
(iii) एक औरतों के लिए
(ii) एक लड़कों के लिए
(iv) एक लड़कियों के लिए।

प्रत्येक प्रतिरूप में प्रश्नों के 20 समूह हैं। ये 20 समूह 20 भिन्न-भिन्न प्रकार की रुचियों से सम्बन्धित हैं।

(6) झिंगरन-ओझा रुचि सूची - इस सूची का निर्माण अलीगढ़ के वी.जी. झिंगरन तथा डॉ. - आ. के. ओझा ने किया। उन्होंने स्ट्रॉंग के रुचि ब्लैंक का हिन्दी में संशोधन किया तथा इन्होंने रुचि-सूची के प्रश्नों का निर्माण भारतीय परिस्थितियों के अनुसार किया। इस सूची में कुल 4000 प्रश्न हैं, जो कि रुचि के विभिन्न आठ क्षेत्रों में विभाजित हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
  6. प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
  8. प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
  12. प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  16. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
  23. प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
  28. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- किसी विद्यालय के निर्देशन सेवा के संगठन की आधारभूत आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- अनुवर्ती सेवाओं से आप क्या समझते हैं? इसका क्या प्रयोजन है? अध्ययनरत छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवाओं की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
  45. प्रश्न- व्यक्ति निर्देशन में आवश्यक सूचना को बताइये।
  46. प्रश्न- भारत में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
  47. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में परिवार की क्या भूमिका होती है?
  48. प्रश्न- अनुकूलन सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी आवश्यकता के क्या कारण हैं? स्पष्टतया समझाइये।
  49. प्रश्न- उपचारात्मक सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- अनुवर्ती अध्ययन की समस्याएँ एवं समाधान का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों का अनुवर्ती अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  52. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों के अनुवर्ती अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- कृत्य विश्लेषण एवं कृत्य संतोष में क्या सम्बन्ध है?
  54. प्रश्न- विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं से आप क्या समझते हैं? विद्यालय निर्देशन- सेवाओं के संगठन के प्रचलित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  55. प्रश्न- माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं के संगठन का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा के प्रमुखं कार्य कौन-कौन से हैं? प्राथमिक तथा सैकेण्ड्री स्कूल स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के उद्देश्यों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- विद्यालयी निर्देशन सेवाओं के संगठन की मुख्य संकल्पनाएँ क्या हैं? इसकी आवश्यकता व क्षेत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- वर्णन कीजिए कि आप एक शिक्षक के रूप में माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम को किस प्रकार से संगठित करेंगे?
  59. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्यों की विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- विद्यालय की निर्देशन संगठन सेवा का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के सफल संगठन के लिए किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों के सफल संचालन हेतु किन-किन कर्मचारियों की आवश्यकता होती है? स्पष्ट कीजिए।
  63. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं के विभिन्न रूपों तथा सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप में बताइए।
  64. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के महत्व की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श के उद्देश्य तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श की आवश्यकता तथा महत्व का वर्णन कीजिए। अथवा छात्र परामर्श की आवश्यकता बताइये।
  68. प्रश्न- परामर्श की प्रक्रिया को समझाइए।
  69. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- परामर्श से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- परामर्श और निर्देशन में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- परामर्श से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- परामर्श के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  75. प्रश्न- "एक परामर्शदाता के लिये समूह गतिशीलता का ज्ञान होना आवश्यक है।" स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- धर्म-परामर्श में सह-सम्बन्ध बताइये।
  77. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त-अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के कितने प्रकार हैं? अनिर्देशित साक्षात्कार प्रविधि के लाभ एवं सीमाएँ बताइए।
  82. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र के निर्माण के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त अध्ययन प्रविधि की सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के गुणों का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि या निर्धारण मापनी को परिभाषित कीजिए।
  86. प्रश्न- साक्षात्कार विधि के मुख्य उपयोगों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
  88. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन प्रविधि के दोषों पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- प्रश्नावली प्रविधि के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि की कमियों या सीमाओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- संचयी आलेख का अर्थ बताइए।
  92. प्रश्न- परामर्श प्रदान करने की मुख्य प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श की प्रविधियों की मुख्य धारणाओं, सोपानों तथा लाभ एवं कमियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- समन्वित परामर्श से आप क्या समझते हैं? समन्वित परामर्श की मुख्य धारणाओं, लाभों तथा कमियों एवं सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श तथा निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- निर्देशन के साधन क्या हैं?
  97. प्रश्न- निर्देशात्मक परामर्श की प्रमुख विशेषताओं और सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- अनिदेशात्मक परामर्श से क्या तात्पर्य है? अनिदेशात्मक परामर्श की मूल धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताएँ।
  102. प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  107. प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
  108. प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
  109. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
  114. प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  115. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
  116. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  117. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  120. प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- 'रुचि आविष्कारिकाएँ' क्या मापन करती हैं? कम से कम दो रुचि आविष्कारिकाओं का नाम बताइए।
  123. प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  127. प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
  128. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
  130. प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  132. प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
  133. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  134. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
  136. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  137. प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  142. प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।

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